भारतीय रसोई में सिलबट्टी की एक अलग ही जगह होती हैं। सिलबट्टे का उपयोग ना सिर्फ मसाला पीसने में किया जाता है। बल्कि इसकी पूजा भी की जाती है। सिलबट्टी पर मसाला पीस कर खाना बनाने से खाने में स्वाद बढ़ जाता है। बल्कि इसके उपयोग से शरीर को भी फायदा होता है जब हम सिलबट्टी पर मसाला पीसते हैं। यह एक कोल्ड- प्रेस की तरह कार्य करता है जिससे मसालों का तेल और स्वाद बेकार नहीं होता। उसका हमें पूरा सुगंध और स्वाद प्राप्त होता है।
सिलबट्टे को English भाषा में Grinding stone कहां जाता है।
सिलबट्टे को आप साधारण दुकानों पर और ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं।
सिलबट्टी खाने का स्वाद बढ़ाता है।
इसी तरह इलेक्ट्रिक पारम्परिक तरीकों से चटनी या मसाला पीसने से उनका नैचुरल स्वाद बना रहता है। अक्सर इलेक्ट्रॉनिक मशीनों की मदद से मसाले पीसने से मसालों के स्वाद बदल जाते हैं। दरअसल इन मशीनों को चलाने से जार में गर्मी पैदा हो जाती है जो मसालों के स्वाद को प्रभावित करती है। जबकि पारम्परिक तरीकों में मसाले नैचुरल हवा के सम्पर्क में रहते हैं और इसीलिए उनका स्वाद बरकरार रहता है। इसका सीधा मतलब है कि उनके पूरे फायदे मिलते हैं आपको।
सिलबट्टी का उपयोग बढ़ता है।
जब आप सिल बट्टे पर मसाला पीसते हैं तो मसालों की खुश्बू धीरे-धीरे फैलती है। यह खुश्बू आपकी नाक के ज़रिए आपके दिमाग तक पहुंचती है और आपके दिमाग को इन मसालों के स्वाद के प्रति आकर्षित करती है। इस तरह भोजन में आपकी रूचि भी बढ़ती है जिससे आपकी भूख भी बढ़ती है।
यदि आप सिल बट्टे में पिसी हुई दाल या फिर चटनी का सेवन करते हैं तो, शरीर को अंदर से ताकत मिलती है। पुराने समय के लोग इसलिए सिलबट्टे से चटनी या मसाले को पीसकर खाया करते थे
सिलबट्टे पर मसाला पीसना भी एक व्यायाम है।
सिल-बट्टा आपके मोटापे को भी कम कर सकता है। जी हां, अगर आप इसमें किसी चीज को पीसते हो तब यह एक तरह से आपको व्यायाम करवाता है। और इसका असर ये होता की आपकी चर्बी धीरे-धीरे घटने लगती है और आप आसानी से पतले होने लगते हो। लेकिन इसके लिए आप रोज कुछ ना कुछ इस पत्थर की सिला पर पीसना होगा।
Eco friendly है सिल-बट्टा का उपयोग।
अगर आप चटनी या दाल पीसने के लिए सिल बट्टे का इस्तेमाल करते हों तो इससे बिजली की खपत नहीं होगी। क्योंकि मिक्सर ग्राइंडर आपकी सबसे अधिक बिजली को फूंकता है। इसलिए आप इसका प्रयोग जरूर करें ।
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